यह एक बहुत ही रोचक सवाल है, क्योंकि हम सभी ने रेलवे स्टेशन पर पटरियां देखी हैं और अक्सर यह सोचते हैं कि आखिर इनमें जंग क्यों नहीं लगता? आइए जानते हैं इसका जवाब:
मुख्य कारण:
विशेष प्रकार का इस्पात: रेल की पटरियां बनाने में एक विशेष प्रकार का इस्पात का उपयोग किया जाता है, जिसे लो कार्बन स्टील कहा जाता है। इस स्टील में कार्बन की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह जंग लगने के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है।
सतह का उपचार: पटरियों की सतह पर एक विशेष प्रकार का उपचार किया जाता है, जिससे जंग लगने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इस उपचार में अक्सर जस्ता या क्रोमियम का लेप लगाना शामिल होता है।
पटरियों की लगातार गति: ट्रेनों की लगातार आवाजाही के कारण पटरियों की सतह पर गंदगी और धूल जमने नहीं पाती, जिससे जंग लगने की संभावना कम हो जाती है।
नियमित रखरखाव: रेलवे विभाग द्वारा पटरियों का नियमित रूप से निरीक्षण और रखरखाव किया जाता है, जिससे जंग लगने की संभावना और कम हो जाती है।
कुछ अतिरिक्त जानकारी:
पटरियों के ऊपरी हिस्से पर जंग क्यों नहीं लगता? पटरियों के ऊपरी हिस्से पर जंग नहीं लगने का मुख्य कारण यह है कि इस हिस्से पर ट्रेनों के पहिए लगातार घिसते रहते हैं, जिससे सतह चिकनी और चमकदार बनी रहती है।
क्या पटरियों में कभी जंग नहीं लगता? हालांकि पटरियों में जंग लगने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन कुछ हिस्सों में विशेषकर जोड़ों पर या जहां पानी जमा होता है, वहां जंग लग सकता है।
कितने दिनों में बदली जाती है रेल पटरी
पटरी की उम्र: आमतौर पर, रेल पटरियों की उम्र 25 से 50 साल तक होती है। लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि पटरी पर चलने वाली ट्रेनों की संख्या, ट्रेनों का वजन और पटरी के रखरखाव पर।
पटरी की स्थिति: अगर पटरी पर ज्यादा जंग लग गया है, दरारें पड़ गई हैं या फिर पटरी टेढ़ी हो गई है तो उसे जल्दी बदलने की जरूरत होती है।
यातायात की मात्रा: अगर किसी रूट पर बहुत ज्यादा ट्रेनें चलती हैं तो पटरी को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ता है।
रेलवे विभाग का रखरखाव कार्यक्रम: हर रेलवे विभाग का अपना एक रखरखाव कार्यक्रम होता है, जिसके अनुसार पटरियों को बदला जाता है।
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आमतौर पर, एक पटरी को बदलने में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक का समय लग सकता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कितनी लंबी पटरी को बदला जा रहा है और किस तरह की मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है।
रेल की पटरियों में जंग नहीं लगना कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें इस्तेमाल किया गया इस्पात, सतह का उपचार, लगातार गति और नियमित रखरखाव शामिल हैं। इन सभी कारकों के कारण ही रेल की पटरियां लंबे समय तक बिना किसी क्षति के चलती रहती हैं।